स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत अभियान के लिए अभिशाप चाइना

 चमक के हिन्दुस्तान को लगी चाइना की नजर, पेट पालना हुआ दुश्वार सरकार क्यों नहीं कर रही प्रतिबंध चाइना उत्पादनों का, हिन्दुस्तान की बेरोजगारी का एक और विशाल रूप निखरता हुआ व्यवसाय नजर आ रहा है जहां पर भारत की मिट्टी में जीवनयापन करने वालों के साथ दुर्भाग्य के सिवाय कुछ और नजर नहीं आ रहा जी हां हिंदुस्तान में पारंपरिक तौर से मिट्टी के बर्तन बनाकर गुजारा करने वाले परिवारों की मनोदशा लगातार भागती हुई नजर आ रही है जहां पर हिंदुस्तान में मिट्टी के बर्तनों का व्यवसाय ऐतिहासिक रूप से लगातार चलता रहा है लेकिन कुछ समय से हिंदुस्तान में चाइना के उत्पादन होने से हिंदुस्तान की मिट्टी की महक में चाइना के बैक्टीरिया उत्पन्न कर दिए हैं हम बात करते हैं हिंदुस्तान में प्रजापति समाज के लोगों का जीना दुश्वार क्योंकि वह मिट्टी के बर्तन बनाकर ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी उनका व्यवसाय है कि दीपावली पर दीपक,करवे,मटके,गड़ा,सुराही, एवं इत्यादि का लघु उद्योग करके अपना परिवार का पालन पोषण करते हैं प्रजापति कुम्हार समाज के उन बेबस मजदूर लोगों का कहना है कि जब से चाइना का उत्पादन इंडिया में तीव्रता से बढ़ता चला जा रहा है तब से उनका जन जीवन नर्क से बदतर बन गया है ना तो समय पर बच्चों की पढ़ाई लिखाई ना ही समाज के हिसाब से परिवर्तन ना ही समाज में अपनी कोई बेहतर दुनिया बना पा रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि हमारा पालन-पोषण बच्चों की परवरिश हमारे मिट्टी के बर्तनों से होती है जो आज के वक्त में जितना बाजार में बिकता नहीं जो भी बेचकर कमाते हैं उससे सिर्फ पेट पालना ही हो पाता है वह भी सिर्फ गुजर-बसर करने वाली स्थिति में हिंदुस्तान की परंपरा को चाइना के उत्पादनों ने विलुप्ति की राह दिखा दी है मजदूर मिट्टी के बर्तन बना कर जीवन यापन करने वालों का कहना है कि यदि सरकार ने चाइना के उत्पादन पर प्रतिबंध नहीं लगाया तो स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत  अभियान को सफल बनाना सम्भव नहीं क्योंकि चाइना के उत्पादन में अधिकतर प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है जो भारत सरकार के स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत अभियान के लिए एक अभिशाप है जिससे उबर पाना संभव नहीं


यदि सरकार चाइना के उत्पादनों का हिंदुस्तान में प्रति बन्द कर दे तो देश की दशा बेरोजगारी एवं स्वदेशी मिट्टी से बने हुए उत्पादन का प्रयोग हर एक हिंदुस्तानी हर एक तीज त्योहार पर करेगा तो हमारा भी गुजारा एवं हमारे भी परिवार की उचित परवरिश उच्च शिक्षा स्तर हो सकता है अन्यथा हमारे साथ साथ स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत स्वदेशी भारत का यह नारा लुप्त हो जाएगा।