पत्रकार परिवर के लिए भी सोचे सरकार "पत्रकार भी इंसान हैं

 कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देश की जनता अपने घरों में रह कर कोरोना को हराने के लिए युद्ध कर रही है "पत्रकार मैदान में जंग लड़ रहे हैं


लेकिन घातक कोरोना वायरस से देश की जनता को बचाने के लिए डॉ, पुलिस, सफाई कर्मचारी खतरों के बीच संघर्ष कर रहे है।


कोरोना वायरस से सम्बंधित पल पल की खबरों को जनता तक पहुचाने और जनता को जागरूक करने के लिए पत्रकार बिना किसी सुरक्षा कवच के जिस तरह से सड़कों पर घूमघूम कर भूखे प्यासे रह कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन कर रहे है वो भी अपने आपमे जान को जोखिम में डालने वाली ज़िमेदारी निभाने की एक नज़ीर है।


लेकिन यहां अफसोस कि बात ये है कि कोरोना वायरस के खतरे के बीच अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने वाले डॉक्टर,पुलिस व नगर निगम के कर्मियों को सरकार द्वारा तो सुविधाए दी जा रही है लेकिन संसाधन विहीन पत्रकारों को कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए सरकार द्वारा न तो सेनेटाइजर, मास्क ही उपलब्ध कराए गए और न ही उनके व उनके परिवार के लिए कोई सुरक्षा बीमा ही किया गया और न ही खाद्य सामग्री ही उपलब्ध कराए जाने की अभी तक सरकार द्वारा कोई घोषणा की गई है।


पत्रकार उस स्थान के आसपास भी जा रहे है जहां कोरोना के मरीज़ों का इलाज हो रहा है पत्रकार लोगों को जागरूक करने के लिए गन्दी बस्तियों में भी जा रहा है और बन्द बाज़ार के बीच सूनी सड़को पर भी भूखा प्यासा मेहनत कर पल पल की खबरे देश की जनता तक पहुचा रहे है।


संसाधन विहीन कम वेतन में अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाहन करने वाले पत्रकारों की सुविधाओं और सुरक्षा के बारे भी सरकार को विचार करना चाहिए।


संसाधन विहीन असुरक्षित होकर अपनी ज़िम्मेदारी का पूरी तरह से निर्वाहन कर रहे पत्रकार भी इंसान हैं उनके भी परिवार हैं।


"पत्रकारों की सुरक्षा पर भी विचार कीजिए साहब"