सीएए विरोधी ”आरोपियों” के प्रशासन द्वारा सड़क किनारे पोस्टर लगाए जाने का हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

 


छुट्टी के दिन रविवार को हो रही सुनवाई, लखनऊ के कमिश्नर व डीएम तलब



लखनऊ : में सीएए कानून के विरोध के दौरान विगत दिनों हुई हिंसा के कथित आरोपियों की फोटो व पोस्टर्स (होर्डिंग्स) सड़क किनारे लगाए जाने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है । चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेकर लखनऊ के डीएम व डिविजनल पुलिस कमिश्नर से कहा है कि वह रविवार सुबह 10 बजे हाईकोर्ट को बताएं कि कानून के किस प्रावधान के तहत लखनऊ में इस प्रकार सड़क पर पोस्टर लगाएं गए हैं। आज छुट्टी के दिन इस मामले की सुनवाई करेगा हाईकोर्ट।
कोर्ट ने पारित आदेश में कहा है कि पोस्टर्स में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत ये पोस्टर्स लगाए गये हैं ।
लखनऊ में जिला/पुलिस प्रशासन द्वारा लगवाएं गए इन होर्डिंग्स की सामाजिक संगठनों एवं कई धर्मगुरुओं द्वारा भी कड़ी निंदा की गई है। पोस्टर में एक धर्म गुरु एवं एक छोटी बच्ची तथा महिलाओं के चित्र लगाए जाने को लेकर जिला प्रशासन की पहले से हीआलोचना हो रही है। कानून के जानकारों का भी कहना है कि पब्लिक प्लेस पर सम्बंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है, यह राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है।