वासांतिक नवरात्र की अष्टमी बुधवार को, कन्या पूजन से मिलेगी सुख समृद्वि

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वाराणसी। वासांतिक नवरात्र में आदि शक्ति की कृपा का विशेष है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि भक्तगण नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरुपो की पूजा की जाती है। इसके साथ ही कुंआंरी कन्याओं के भी पूजन से सुख समृद्वि की प्राप्ति होती है। बताया कि चौत्र शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 31 मार्च मंगलवार को अर्द्वरात्रि के पश्चात तीन बजकर 50 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन एक अपै्रल बुधवार को अर्द्वरात्रि के पश्चात तीन बजकर 41 मिनट तक रहेगी। पश्चात नवमी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी। अष्टमी तिथि का हवन, कुआंरी कन्याओं का पूजन, महानिशा पूजा एक अपै्रल बुधवार को ही सम्पन्न होगी। उदया तिथि के तहत एक अपै्रल बुधवार को अष्टमी तिथि का मान रहने से महाअष्टमी का व्रत रखा जायेगा। शास्त्रों के अनुसार दो वर्ष से दस वर्ष की कन्याओं के पूजन का विधान है। दो वर्ष ककी कन्या में कुमारी, तीन वर्ष त्रिमूर्ति,चार वर्ष कल्याणी, पांच वर्ष में रोहिणी, छह वर्ष में काली, सात वर्ष में चण्डिका,आठ वर्ष में शाम्भवी, नौ वर्ष में दुर्गा, दस वर्ष में सुभद्रा के नाम से से जाना जाता है।