काकोरी कांड के शहीदों और अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के क्रांतिकारियों को माकपा कार्यकर्ताओं ने याद कर दी श्रद्धांजलि

नोएडा, काकोरी कांड  और अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के  क्रांतिकारियों की याद में शुक्रवार 9 अगस्त 2019 को सीपीआईएम  पार्टी कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय सेक्टर 8 नोएडा  पर आयोजित कार्यक्रम में शहीदों को नमन कर दी श्रद्धांजलि  इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीपीएम नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा ने कहा कि आज भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का महत्वपूर्ण दिन है 9 अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों ने काकोरी कांड की घटना को अंजाम दिया था ।जिसमें अंग्रेजों के खजाने से भरी एक ट्रेन को लूटा गया था और उसके ठीक 17 साल बाद 9 अगस्त 1942 को *अंग्रेजो भारत छोड़ो* आंदोलन का नारा देकर आंदोलन शुरू किया गया था ।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी क्रांतिकारियों के बलिदान को यह देश कभी नहीं भूल पाएगा उन्होंने कहा किअंग्रेजों की नाक के नीचे से लूटा था खजाना, 27 की उम्र में शहीद हुए थे अशफाक उल्ला खां।


महात्मा गांधी का प्रभाव अशफाक उल्ला खां के जीवन पर शुरू से ही था, गांधीजी ने 'असहयोग आंदोलन' वापस ले लिया तो उनके मन को अत्यंत पीड़ा पहुंची।जिसके बाद रामप्रसाद बिस्मिल और चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में 8 अगस्त, 1925 को क्रांतिकारियों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें 9 अगस्त, 1925 को सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन काकोरी स्टेशन पर आने वाली ट्रेन को लूटने की योजना बनाई गई जिसमें सरकारी खजाना था।
क्रांतिकारी जिस धन को लूटना चाहते थे, दरअसल वह धन अंग्रेजों ने भारतीयों से ही हड़पा था।9 अगस्त, 1925 को अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आज़ाद, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, सचिन्द्र बख्शी, केशव चक्रवर्ती, बनवारी लाल, मुकुन्द लाल और मन्मथ लाल गुप्त ने अपनी योजना को अंजाम देते हुए लखनऊ के नजदीक 'काकोरी' में ट्रेन से ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया। जिसके बाद इस घटना को काकोरी कांड से जाना जाता है।26 सितंबर 1925 के दिन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया उनके खिलाफ राजद्रोह करने, सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया गया। बाद में राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई।जबकि 16 अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम चार साल की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी यानी कि आजीवन कारावास की सजा दी गई। उन्होंने कहा कि बिस्मिल ने जेल में लिखा था मेरा रंग दे बसंती चोला जो आज भी देश के युवाओं को प्रेरणा देता है।
कार्यक्रम में माकपा नेता मदन प़साद, गंगेश्वर दत्त शर्मा, भरत डेंजर, भीखू प्रसाद, राम सागर, शम्भू, सुरेन्द्र आदि ने हिस्सा लिया।