निर्माण मजदूर 5 दिसम्बर 2019 को संसद के समक्ष करेंगे विशाल विरोध प्रर्दशन

नोएडा, निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को समाप्त करके दूसरे कल्याण बोर्ड में विलय के खिलाफ एवं कल्याण बोर्ड से मिलने वाली सुविधाए बचाने आदि मांगों को लेकर कंसट्रक्शन वकर्स फेडरेशन आॅफ इण्डिया (सी0डब्लू0एफ0 आई0) के आहवान पर 5 दिसम्बर 2019 को पूरे देश के निर्माण मजदूर संसद मार्च करेगे जिसकी तैयारी में 2 दिसम्ब 2019 को भवन निर्माण मजदूर यूनियन सम्बन्ध सी0आई0टी0यू0 की बैठक सीटू कार्यालय भंगल फैस-2 नोएडा पर हुई बैठक को सम्बोधित करते हुए यूनियन के नेता रामस्वारथ, गंगेश्वर दत्त शर्मा, राम सागर इशरतजहां, रमाकान्त व मुख्य वक्ता सीटू दिल्ली एन0सी0आर0 राज्य सचिव एवं सी0डब्लू0एफ0 आई0 के नेता सिद्वेश्वर शुल्का ने बताया कि निर्माण के क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की संख्या करोड़ों में है। लम्बे संघर्ष के बाद आजादी के 49 सालों बाद 1996 में निर्माण मजदूूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा का कानून बना। यह भी तभी सम्भव हो पाया जब संयुक्त मोर्चा की सरकार वामपंथी दलों पर आश्रित थी। जहां मजदूर सड़कों पर लड़ रहे थे वही कम्युनिस्ट सांसदों ने देश की संसद में निर्माण मजदूरों की पैरवी की थी। इसी कानून के तहत निर्माण के क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को दुर्घटना में मृत्यु पर मुआवजा, वजीफा, मकान बनाने हेतु लोन, बच्चों की शादी पर सहायता सहित अनेक तरह की मदद हो रही है। लेकिन जबसे देश में दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी है।  सरकार ने संसद के पहले ही सत्र में लम्बे संघर्षों के बाद बने श्रम कानूनों को मालिकों के हक में बदलने का निर्णय ले लिया है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 44 मौजूदा श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिता में विलय करने का फैसला किया है। दूसरे तरीके से हम कह सकते हैं कि केंद्र सरकार ने 44 मौजूदा श्रम कानूनों की जगह 4 ''लेबर कोड'' लेकर लाए हैं। जिनका उद्देश्य निवेशकों, काॅरपोरेट सेक्टर, भारतीय और विदेशी विनिर्माण और सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों की मदद करना है। यह सब श्रमिकों द्वारा बड़े संघर्षो के बाद हासिल किये गये कानूनी हकों की कीमत पर किया जा रहा है। 4 श्रम कोड हैं - 1. वेज कोड 2. सामाजिक सुरक्षा 3. औद्योगिक सुरक्षा और कल्याण संहिता 4.औद्योगिक संबंध संहिता। इन संहिताओं के लागू होने से श्रम कानूनों के तहत मिलने वाले कानूनी अधिकार खत्म हो जायेगें।
       केंद्रीय टेड यूनियनों ने प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा परिषद बनाने का विरोध किया जो देश में लागू होने वाली सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को नियंत्रित और संचालित करेगा। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के कड़े विरोध के चलते राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा परिषद के गठन का यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया है।
      केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत सेवानिवृति निधि निकाय (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) (ई.पी.एफ.ओ.) और राज्य स्वास्थ्य बीमा कर्मचारी व राज्य बीमा निगम के विलय का विरोध किया है। ट्रेड यूनियनों ने अपनी राय व्यक्त की है कि ई.पी.एफ. और ईपीएस योजना और ईएसआई (सी) योजना पिछले 60 वर्षों से सदस्यों के लिए संतोषजनक सेवा प्रदान कर रही है इसलिए इनमें कोई बदलाव ना किया जाये।
     भारत सरकार ने यह तय किया है कि सामाजिक सुरक्षा पर मौजूदा 14 अधिनियम ''सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण कोड'' में विलय हो जाएंगे। यह सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोड निर्माण मजदूर कल्याण कानून को समाप्त कर देगा। जिसे पहले से ही भारत सरकार द्वारा अंतिम रूप दिया गया है। इससे राज्यों के 36 कल्याण बोर्ड बंद हो जाएंगे और 4 करोड़ पंजीकृत लाभार्थियों के पंजीकरण रद्द हो जाएंगे। इन कल्याण बोर्डां में 42000 करोड़ रूपये जमा हुए और केवल 12,000 करोड़ रू. वितरित हुये हैं। जिसके चलते वह इस कानून को खत्म करने पर उतारु हैं। हमारे संगठन ने केंद्र सरकार के इस मजदूर विरोधी कदम का पुरजोर विरोध किया। 
वक्ताओं ने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि  लोकसभा अध्यक्ष भारत सरकार को विशाल प्रदर्शन के माध्यम से करोड़ निर्माण मजदूरों व उनके परिवारों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन सौपने के लिए 5 दिसम्बर 2019 को संसद मार्ग नई दिल्ली में भारी संख्या में 11 बजे तक पहुॅचे।