चन्द्र मंगल योग धनप्रदायक है

 चन्द्र मंगल योग धनप्रदायक है |  जन्मकुंडली में ज्योतिषियों द्वारा दो, तीन, चार या पांच ग्रहो के योग फल को बहुत ही महत्त्व दिया है। जब दो या दो से अधिक ग्रह एक ही राशि में स्थित हों तो ग्रहों की इस अवस्था को युति कहते है तथा जब दो या दो से अधिक ग्रह एक-दूसरे के आमने-सामने अर्थात सातवें स्थान पर स्थित हों तो वह प्रतियुति कहलाती है। शुभ ग्रहों की युति या प्रतियुति शुभ फल प्रदान करती है तथा अशुभ ग्रह या अशुभ स्थानों के स्वामियों की युति-प्रतियुति अशुभ फल प्रदान करने में समर्थ होती है। ग्रहों के एक ही राशि में युति-प्रतियुति के फल को जानकर जातक के जीवन मे आनेवाली शुभ अशुभ घटनाओ को घटना होने से पहल बताया जा सकता है।


*ज्योतिष के अनुसार चंद्र विचार | 
पृथ्वी से सबसे निकटतम तथा तीव्रगति का ग्रह होने के कारण चन्द्रमा का मानव जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसे समुद्र में ज्वार-भाटा का तेज गति से आना पूर्णिमा और अमावस्या के दिन अधिक होता है यह स्थिति चन्द्रमा सूर्य के कारण ही होता है।
*चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी है तथा यह वृषभ राशि में उच्च का एवं वृश्चिक राशि में नीच का होता है। इसका रंग श्वेत है तथा इसकी प्रकृति शीतल है। यह जल का भी कारक है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को सत्वगुणी एवं स्त्री स्वभाव माना गया है। चन्द्रमा मन, माता, भावनात्मक लगाव, जल, सुंदरता, चरित्र, मंदिर, ह्रदय, चेफरा, आँख, रक्तचाप इत्यादि का कारक है।
*चंद्रमा सूर्य से जितनी अधिक दूरी पर होगा उतना ही प्रभावी, बलशाली एवं शुभ होता है परन्तु ठीक इसके विपरीत जितना निकट होगा उतना ही क्षीण, बलहीन एवं पापी स्वभाव का होगा। इसी कारण चन्द्रम पूर्णिमा एवं उसके तीन दिन पूर्व और अग्र पूर्ण बलशाली एवं शुभत्व प्रभाव का वाला होता है जबकि अमावस्या एवं उसके आस-पास क्षीण और पापी स्वभाव का होता है।
*चन्द्र सतोगुणी है। यदि चन्द्रमा किसी जातक की कुंडली में दुष्प्रभावों से मुक्त है अर्थात शुभ प्रभावों में है तब जातक में सत्त्व गुण प्रकट होते हैं और वह तदनुसार आचरण करता है। ये सभी क्रियाएं ग्रहों की गति के अनुरूप बदलती रहती हैं। चन्द्रमा का प्रभाव हमारे शरीर में तरल रूप में स्थित होता हैं जिनमें मन, कफ, रूधिर, बाई आंख, भावनाएं, मनोवैज्ञानिक समस्याएं और माता आदि महत्वपूर्ण हैं।
*ज्योतिष में मंगल विचार | 
किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल ( Mars) भाई, साहस,सामर्थ्य, भूमि, रक्त शौर्य, मान, तकनिकी कार्य, पुलिस रक्षा विभाग इत्यादि का कारक ग्रह है। मंगल ग्रह का वर्ण रक्त है प्रकृति उष्ण तत्त्व अग्नि तमोगुणी तथा पुरुष जाति का ग्रह है। यह दो राशि का स्वामी है मेष तथा वृश्चिक। मेष राशि इसकी मूल त्रिकोण राशि है। मकर राशि में यह उच्च का एवं कर्क राशि में नीच का माना गया है। मंगल प्रभावित व्यक्ति का स्वभाव उग्र तथा तीक्ष्ण होता है।
*यदि आपकी कुंडली में मंगल उच्च का, अपने घर का, केंद्र या त्रिकोण में शुभ स्थिति में है तो आप अवश्य अपने जीवन काल में सभी सुख सुविधाओं यथा मान-सम्मान और यश, भाई बहन, सरकारी नौकरी, भूमि इत्यादि का उपभोग करेंगे। इसके विपरीत यदि मंगल आपकी कुंडली में नीच का, त्रिक भाव का या अशुभ ग्रहो के भाव में स्थित है तो आपको एक्सीडेंट, रक्त विकार, ह्रदय रोग इत्यादि का सामना करना पड़ेगा।
*इसी कारण मंगल प्रभावित व्यक्ति का स्वभाव उग्र तथा तीक्ष्ण होता है। मंगल का वर्ण लाल होता है। यह पित्त का कारक ग्रह है। मंगल जब कुण्डली में किसी अन्य ग्रह के साथ युति सम्बन्ध बनाता है तो कुछ ग्रहों के साथ इसके परिणाम शुभ फल प्रदान करता है तो कुछ ग्रहों के साथ इसकी शुभता में कमी आ जाती है।
*आइये प्रस्तुत लेख के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते है कि यदि चन्द्रमा के साथ मंगल ग्रह की युति बना रहा है तो उसका फल कैसा होगा।
*चन्द्र मंगल योग धनप्रदायक है 
किसी भी जन्मकुंडली में किसी भी भाव में चंद्र और मंगल एक साथ स्थित हो तो चंद्र-मंगल नामक योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक बहुत ही क्रोधी स्वभाव का होता है। ऐसा व्यक्ति येन केन प्रकारेण जीवन में आगे ही बढ़ते ही रहता है अतः ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन से कभी हार नही मानना चाहिए। इनका दिमाग बहुत ही तेज तथा शातिर किस्म का होता है। आप धोखा देने में भी नहीं हिचकते हैं। आप भोगी और आराम पसंद हो सकते हैं। स्त्रियों के साथ आपका संबंध मधुर रहेगा।
*प्रारम्भिक जीवन संघर्षमय व्यतीत होता है परन्तु बाद में उत्तरोत्तर उच्च शिखर पर पहुंच जाते है। इन्हे आगे बढ़ने से कोई रोक भी नहीं सकता। यदि यह स्थिति अशुभ घर में हो तो इनकी माता को कोई कष्ट होता है। व्यक्ति को शरीर में कोई न कोई चोट का निशान होता है।
*चंद्र-मंगल प्रभावित व्यक्ति धन संग्रह तथा निवेश के मामले में बड़ी ही चतुराई से काम करता है। आपमें राजसिक तथा तामसिक प्रवृत्तियां बढ़ती है। ऐसा जातक ज्योतिषी, डॉक्टर, वकील, प्रशासनिक अधिकारी या नेता, अभिनेता के रूप में कार्य करता है और प्रसिद्धि भी प्राप्त करता है।
*चन्द्र मंगल का शुभ योग फल 
जिस जातक का जन्म मेष, कर्क, तुला, वृश्चिक, मकर, मीन लग्न या राशि में हुआ है तो उस जातक के लिए चंद्र-मंगल योग शुभ फल प्रदान करता है। ऐसी स्थिति में यह योग व्यक्ति को धनवान, बुद्धिमान, सामर्थ्यवान, सामाजिक श्रेष्ठता और शक्तिशाली बनाता है। शुभ योग व्यक्ति को समाज
वं परिवार में सम्मान व आदर दिलवाता है। यही नहीं प्रशासनिक पद भी दिलाने में सक्षम होता है।
*चन्द्र मंगल योग का अशुभ प्रभाव 
चन्द्रमा मंगल योग यदि अशुभ प्रभाव में है अर्थात यदि अशुभ भाव का स्वामी होकर अशुभ स्थान में बैठा है तो उस व्यक्ति का मानसिक रूप से परेशान रहता है चाहे वह क्यों नहीं धन या परिवार को लेकर ही हो। उसका मन अस्थिर और विचलित रहता है। ऐसा जातक चारित्रिक पतन का भी शिकार होता है। आप अवैध तरीके से भी धन कमाने के चक्कर में लगे रहेंगे जिसके कारण से आपको अपमानित भी होना पड़ सकता है।
*चन्द्र मंगल योग और मांगलिक विचार - मांगलिक दोष
यदि यह योग किसी भी जातक के जन्मकुंडली में प्रथम,चतुर्थ,सप्तम,अष्टम तथा द्वादश स्थान में बन रहा है तो ऐसा जातक मांगलिक होता है। यह स्थिति चाहे पुरुष की कुंडली में हो या स्त्री की कुंडली में सुखमय वैवाहिक जीवन में अनेक बाधाएं आती है। पति पत्नी के मध्य बराबर नोकझोक होती रहती है कई बार तो ये दोनों साथ होकर भी अलग अलग जीवन व्यतीत करते है शारीरिक सम्बन्धो का अभाव रहता है। विधवा, विदुर या तलाक जैसी स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है।