भूत-प्रेत भगाने के ज्योतिषी व प्रभावशाली उपाय

 भूत-प्रेत आदि एक बार जिस व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले लेते है तो बड़ी ही मुश्किल से उसका पीछा छोड़ते है | ऐसा रोगी हर दिन जीवन से संघर्ष करता है | भूत-प्रेत को दूर भगाने के लिए तरह-तरह के उपाय करता है, सिद्ध स्थानों की तलास करता है , झाड-फूंक व तांत्रिकों के पास जाता है | आज हम आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बताने जा रहे है जिनके प्रयोग से भूत-प्रेत दूर भागने लगते है |


5 मुखी रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करें व सावन माह, शिवरात्रि या सोमवार के दिन धारण करें | रोजाना रुद्राक्ष की पूजा करें इसे दूप-दीप दिखाएँ व ॐ नमः शिवाय मंत्र के 108 जप करें | रुद्राक्ष धारण करने से नकारात्मक शाक्तियाँ दूर रहती है | 5 मुखी राद्रक्ष के 3 मनके धारण करने से पूर्ण लाभ मिलता है | इसके साथ ही रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक मनोबल भी मजबूत होता है |
जिन लोगों पर भूत-प्रेत का प्रभाव शीघ्र होने लगता है उन्हें हनुमान चालीसा या बजरंग बाण को सिद्ध अवश्य करना चाहिए | हनुमान चालीसा व बजरंग बाण को एक ही दिन में सिद्ध कैसे करते है इसके लिए आप ये post पढ़े : हनुमान चालीसा को एक ही दिन में सिद्ध करें
हनुमान जी , माँ काली व भैरव की आराधना करने वाले जातक से भूत-प्रेत आदि स्वतः ही दूर होने लगते है |
हनुमान जी का ऐसा मंदिर जहाँ हनुमान जी की प्रतिमा को सिन्दूर का चौला चढ़ाया जाता हो, वहाँ सुबह-सुबह रोजाना जाए व हनुमान जी के चरणों से सिन्दूर लेकर तिलक करें साथ ही जय श्री राम के नाम का जप करें | समय-समय पर हनुमान जी को चौला चढ़ाएं व मंगलवार को व्रत 
घर में सुबह-शाम धुप-दीप अवश्य लगाये व मंगलवार और शनिवार को घर में गुग्गल व लोहबाण की धूनी दे |
घर में समय-समय पर सुंदरकाण्ड का पाठ करते रहे व किसी 
ऊपरी बाधा के लक्षण, भूत प्रेत भगाने के उपाय, भूत प्रेत बाधा हरण टोटके/मंत्र 


 प्रायः ईश्वर के प्रति आस्थावान व्यक्ति भी यह कहने में दो पल नहीं लगाते कि भूत-प्रेत कुछ नहीं होता है, सब मन का भ्रम है| परंतु यदि तर्क सम्मत तथ्य यह है कि यदि हम ईश्वर को मानते हैं तो पैशाचिक शक्ति को भी मानना ही पड़ेगा क्योंकि ये दोनों विपरीत गुण-धर्मों वाली शक्तियाँ अथवा ऊर्जा स्तोत्र हैं| सनातन धर्म दर्शन जिसे हम हिन्दू धर्म कहते हैं पुनर्जन्म के सिद्धान्त पर आधारित है | यहाँ आत्मा को अजर-अमर मानते हुए उसे कर्मों के अनुसार फलाफल प्राप्त होने की बात कही गई है | आत्मा एक शरीर का त्याग करती है तथा नूतन वस्त्र की तरह दूसरा देह धारण कर लेती है| परंतु मध्य में कहीं यह तार टूट जाए, तो आत्मा तुरंत जन्म नहीं लेती अपितु प्रेत योनि में चली जाती है |


यह एक कैद की तरह होता है, यदि कर्म अच्छे हुए तो कुछ अंतराल बाद वह स्वयमेव मुक्त हो जाता है अन्यथा हजारो साल तक भटकता रहता है | इस कष्टप्रद योनि में कामनाएँ मानवीय ही होती हैं परंतु भोग के लिए शरीर नहीं होता है| इस तरह की आत्मा सदैव मानव शरीर की ताक में रहती है| पवित्र, मजबूत आत्म शक्ति वाले लोगों के पास भी यह नहीं फटकती, परंतु अशुचिता वाले स्थान पर, बच्चों, महिलाओं, किशोरों, युवकों को यह  अक्सर चपेट में ले लेती है| ऐसे कई किस्से हैं जिसमे कहा जाता है कि अमुक शौच के लिए गया, वहाँ से लौटा तो उसका व्यवहार विचित्र हो गया अथवा किसी पुराने पेड़ के पास बच्चे ने सू सू कर दिया उसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई| यह सब ऊपरी बाधा के  लक्षण है जिसके पीछे अशरीरी आत्माएँ होती हैं |


ऊपरी बाधा के लक्षण


अशरीरी आत्माओं को विभिन्न वर्ग में रखा जाता है, जैसे – भूत प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, चुड़ैल, राक्षस, पिशाच आदि| ये सभी  आत्माओं की अलग-अलग अवस्थाएं हैं जिनसे प्रभावित होने पर अलग-अलग लक्षण प्रगट होते हैं| कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –


भूत बाधा से ग्रस्त मनुष्य की आंखे लाल हो जाती हैं, शरीर काँपता है तथा उसका आचरण विक्षिप्तों के समान होता है| उसके जिस्म में अचानक इतनी ताकत आ जाती है कि वह किसी को भी उठाकर फेंक दें| विषय का ज्ञान न होने पर भी पंडितों की तरह बात कर सकता है|
पिशाच से प्रभावित इंसान के शरीर से दुर्गंध आती है, वह अत्यधिक कठोर वचन बोलता है, उसे एकांत प्रिय होता है, किसी के भी सम्मुख नग्न हो सकता है| ऐसे लोगों को अत्यधिक भूख लगती है|
यक्ष से त्रस्त व्यक्ति अचानक लाल रंग पसंद करने लगता है| बहुत कम या बहुत धीमे स्वर में बात करता है| प्रायः अपनी बात आंखो के इशारे से करता है|
प्रेत बाधा ग्रस्त मनुष्य अक्सर ज़ोर-ज़ोर से साँसे लेता है, खूब चीखता है, इधर उधर भागता है| भोजन में रुचि कम हो जाती है| कठोर वचन बोलता है|
यदि किसी पर चुड़ैल का साया पड़ जाए तो ऐसा व्यक्ति अचानक खूब हृष्ट-पुष्ट हो जाता है| बात-बात पर मुस्कुराता है| मांस भक्षण में रुचि बढ़ जाती है|
शाकिनी का प्रभाव महिलाओं पर होता है| वह बेसुध हो जाती हैं, रोती हैं तथा उनके बदन में कंपन होता है|
उपर्युक्त कुछ लक्षण हिस्टीरिया नामक रोग से मिलते जुलते हैं, अतएव सर्वप्रथम चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है| यदि दवाएं बेअसर साबित हो रही हों तथा लक्षण दिन प्रति दिन उग्र होते जा रहे हों तो निश्चित ही यह ऊपरी बाधा के संकेत हैं|


भूत प्रेत बाधा हरण टोटके/मंत्र


शनिवार अथवा मंगलवार को श्वेत अपराजिता तथा जावित्री के पत्तों का रस नस्य के रूप में लें| इस से डाकिनी-शाकिनी का दुष्प्रभाव दूर होता है|
पूस माह में कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को विशाखा नक्षत्र में सर्वप्रथम पीपल की जड़ को अपने यहाँ आने के लिए आमंत्रित करें| अगले दिन रात में पीपल की जड़ लेकर आएँ, निर्वसन स्नान करें, पुनः धूप दीप दिखाकर उसकी पूजा करें| फिर उस जड़ को पीड़ित व्यक्ति की भुजा में ताबीज की भांति बांध दें| ऐसा करने से प्रेत बाधा दूर होती है|
घोड़े के खुर की नख अश्विनी नक्षत्र में लेकर आएँ, पुनः उसे आग में जलाकर धुनी दें| इस से भूत-प्रेत की बाधा दूर होती है|
शनिवार के दिन काले धतूरे की जड़ पीड़ित व्यक्ति के दाहिनी बांह पर बांध दें| यदि वह स्त्री है तो धतूरे की जड़ उसकी बाईं बांह पर बांधे|
चाँदी की छोटी सी गुड़ियाँ बनवाएँ, रात के समय एक किग्रा चावल, पाव भर चीनी, लाल कपड़ा तथा एक नारियल सभी वस्तुएँ(गुड़िया सहित) पीड़ित के ऊपर से उसारकर श्मशान में रख दें|
सवा गज लाल कपड़ा, चाँदी का एक रुपया, एक किग्रा चावल तथा एक किग्रा तिल किसी बर्तन में रखकर पीड़ित के ऊपर से उसारकर बर्तन को किसी नदी के किनारे रख दें|
उड़द की दाल से बने दहीबड़े विषम संख्या में लेकर पीड़ित के ऊपर से उसार दें तथा काले कुत्ते को खिला दें| ध्यान रखें वह काला कुत्ता पालतू न हो|
भूत प्रेत बाधा हरण मंत्र


ऊँ ऐं हीं श्रीं हीं हूं हैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्ष्य महामारेश्रवर रूद्रावतार हुं फट स्वाहा।
यह मंत्र कठिन है तथा लंबा भी है परंतु इसका असर अचूक होता है| 108 बार इस मंत्र को जपते हुए जल को अभिमंत्रित करें तथा पीड़ित को कुछ जल पिलाने के बाद इस जल से छींटे मारें| समस्त ऊपरी बाधा से मुक्ति मिल जाती है|


तेल नीर, तेल पसार चौरासी सहस्र डाकिनीर छेल, एते लरेभार मुइ तेल पडियादेय अमुकार (नाम) अंगे अमुकार (नाम) भार आडदन शूले यक्ष्या-यक्षिणी, दैत्या-दैत्यानी, भूता-भूतिनी, दानव-दानिवी, नीशा चौरा शुचि-मुखा गारुड तलनम वार भाषइ, लाडि भोजाइ आमि पिशाचि अमुकार (नाम) अंगेया, काल जटार माथा खा ह्रीं फट स्वाहा। सिद्धि गुरुर चरण राडिर कालिकार आज्ञा।
सर्वप्रथम किसी शुभ मुहूर्त में उपर्युक्त मंत्र को 10 हजार बार जपकर सिद्ध कर लें| एक कटोरी में सरसो तेल लेकर 21 बार इस मंत्र का जाप करें तथा फूँक मारें| यह अभिमंत्रित तेल पीड़ित के ऊपर छिड़कें|


अपने सामने भूत-प्रेत बाधाग्रस्त व्यक्ति को बैठाएँ, हाथ में मोरपंख रखें| अब निम्नलिखित मंत्र को बुदबुदाएँ तथा मोरपंख से पीड़ित को झाड़ें –
बांधों भूत जहाँ तू उपजो छाड़ो गिर पर्वत चढ़ाई सर्ग दुहेली तू जमी


झिलमिलाही हुंकारों हनुमंत पचारई सभी जारि जारि भस्म करें जो चापें सींउ। 
प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय
हिन्दू धर्म में भूतों से बचने के अनेक उपाय बताए गए हैं। चरक संहिता में प्रेत बाधा से पीड़ित रोगी के लक्षण और निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं। > ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों- प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं। > अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है। यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय।


1. ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में पहने और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांध कर रखें।


2. दीपावली के दिन सरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। यह काजल लगाने से भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी रक्षा होती है।


3. घर में रात्रि को भोजन पश्चात सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान या किसी अन्य पवित्र स्थल पर कपूर तथा लौंग जला दें। इससे आकस्मिक, दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों से मुक्त मिलती है।


4. प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहित उखाड़ कर उसे धरती में ऐसा दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाएं। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहती और व्यक्ति सुख-शांति का अनुभव करता है।


5. प्रेत बाधा निवारक हनुमत मंत्र – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा।


इस हनुमान मंत्र का पांच बार जाप करने से भूत कभी भी निकट नहीं आ सकते।


6. अशोक वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रख कर पूजा करें। उनके सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। यह क्रिया नियमित रूप से करें, आपका घर भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा।


7. गणेश भगवान को एक पूरी सुपारी रोज चढ़ाएं और एक कटोरी चावल दान करें। यह क्रिया एक वर्ष तक करें, नजर दोष व भूत-प्रेत बाधा आदि के कारण बाधित सभी कार्य पूरे होंगे।


8. मां काली के लिए उनके नाम से प्रतिदिन अच्छी तरह से पवित्र ‍की हुई दो अगरबत्ती सुबह और दो दिन ढलने से पूर्व लगाएं और उनसे घर और शरीर की रक्षा करने की प्रार्थना करें।


9. हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं।


10. मंगलवार या शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ शुरू करें। यह डर और भय को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है।


इस तरह यह कुछ सरल और प्रभावशाली टोटके हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता। ध्यान रहें, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं।


सावधानी : सदा हनुमानजी का स्मरण करें। चतुर्थी, तेरस, चौदस और अमावस्या को पवि‍त्रता का पालन करें। शराब न पीएं और न ही मांस का सेवन करें।
ज्यादा प्रभावशाली भूत प्रेत के लिए महाविद्या का पाठ एवं जाप 
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