उपचुनाव के कैम्पेनिंग में सोशल मीडिया की भूमिका प्रभावशाली होगी "भानू प्रताप किरार


मध्य प्रदेश : में लॉकडाउन के बाद 24 सीटो पर उपचुनाव होने हैं । जिसमें से 22 सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थको की हैं। ऐसे मे सभीराजनीतिक पार्टियाँ सीटो को अपने-अपने कब्जे में लेने के लिए क्षेत्रीय जनता के बीच भरसक जद्दोजहद मे रहेंगी। क्योकि नतीजे जनता के मूढ़ पर आधारित होंगे।


उपचुनावों को ध्यान में रखते हुए युवा पोलेटिक्स व डिजिटल ब्रांडिंग स्ट्रैटेजिस्ट भानुप्रताप किरार जो कि कई राजनेताओं के लिए चुनावी कैम्पेनिंग कर चुके उनसे जाना कि आज इंटरनेट के दौर में एक नेता अपने क्षेत्र की जनता से कौन से माध्यमों से सीधे तौर पर जुड़ सकते हैं।


युवा रणनितिकार किरार ने बताया कि पिछले कई विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों मे  चुनाव कैम्पेनिंग डारेक्ट इंटरनेट से प्रभावित रही है, क्योंकि देश व प्रदेश मे लगभग सभी मतदाता सोशल मिडिया प्लेटफार्मो का उपयोग करते हैं, और सभी जननेता भी फेसबुक, ट्विटर, टिकटोक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लगभग मौजूद हैं और क्षेत्रीय जनता अपने नेताओं को इन प्लेटफार्म पर फोलो करती है जिससे उन्हें अपने नेता की दैनिक गतिविधियों का पता चलता है। हमने 2014 से लेकर अबतक के पिछले चुनावों में अनुभव भी किया है कि सोशल मिडिया ने कई क्षेत्रों के नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाई है।


इंटरनेट के दौर मे एक सोशल मीडिया का माध्यम जनता से जननेता को सीधे संवाद स्थापित कराने में सहायक हो सकता है। उपचुनाव में नेता के पास समय सीमा की कमी होने पर ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय जनता तक पहुंचने में ये प्लेटफार्म कारगर सिद्ध होंगे। फिलहाल लॉकडाउन में इन माध्यमों का ताजा उदाहरण स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, एवं सभी बड़े राजनेता और सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री व क्षेत्रीय नेता भी जनता से संपर्क के लिए इन माध्यमों का उपयोग कर रहे हैं


वाट्सएप और अन्य सोशल मैसेंजर का उपयोग जनसमास्याओं को सीधे जनता से पता करने में जननेता उपयोग कर सकते हैं।


किरार ने बताया कि, अगर हम कहें कि 'सफल चुनाव कैम्पेनिंग
से तात्पर्य एक नेता का उसकी क्षेत्रीय जनता के मध्य एक संतुलित जनसंपर्क है' तो बिना इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उपयोग से ये आज की चुनावी शैली में संभव नही है।


किरार ने ये भी बताया कि इंटरनेट के दौर में ये सभी प्लेटफार्म तो हर क्षण अपनी क्षेत्रीय जनता से जुड़े रहने का एक त्वरित माध्यम है। नेता के प्रत्यक्ष संपर्क से जनता(मतदाता) रहती है ओर पूर्णतः संतुष्ट भी होती है।
उप चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका प्रभावशाली रहेगी।